‘सैर’: प्रादेशीक भाषा के माध्यम से भारतीय सिनेमा का नया चहेरा

         शोर्ट फिल्म का सर्जन छोटे और बडे सभी कलाकारों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. तो साथ ही शोर्ट फिल्मों को कई माध्यमो से प्रस्तुत करने का चलन भी बढा है. उनमे से एक है, शोर्ट फिल्म फेस्टिवल. हाल ही में विनस ब्राईटेस्ट स्टार इन्टरनेशनल फिल्म फेस्टिवल मुंबई में संपन्न हुआ. मुझे भी उसमें चीफ ज्युरी मेम्बर बनने का सौभग्य प्राप्त हुआ. और १७० फिल्में देखने का अवसर भी. सभी फिल्मों के बारे में नहीं तो कुछ फिल्मों के बारे में तो बात कर ही सकते है. आज मराठी फिल्म ‘सैर’ के बारे में..



चित्रनाट्य सिनेमा एंड ड्रामा एकेडेमी प्रस्तुत शोर्ट फिल्म ‘सैर’ मां (शामल सुरते) और बेटे (शोर्य वैष्णव) की कहानी है. मराठी कविता ‘नौ भाई चिमण्या भाई चीव चूं चूं’ से ही फिल्म के टोन सेट हो जाता है. दो लोग साईकल पर जा रहे है, पीछे बेठे आदमी के पास पंछी का पिंजर है जीसमें कबूतर है. उस वक्त सामने से मां अपने बेटे को खिंचती हुई आ रही है. मां के हाथ में लकडी है. बेटा पाठ्शाला न जाकर पूरा दिन घुमता रहेता है, इसलिये मां उससे नाराज है. साईकल पर जा रहे दो लोग और आ रहे दो लोग, दोनों में एक समानता है. किसीको जबरन ले जानें की.

मां बेटे को डांटती है. खाना नहीं देती. नाराजगी व्यक्त करती है. मगर मानसिक रूप से अस्वस्थ बेटा अपनी ही धून में है. दूसरे दिन बेटा जब पाठशाला जाता है तो मां उसका पीछा करती है. बेटा पाठशाला में दाखिल तो होता है, मगर फौरन बाहर चला जाता है..! कहां..? क्यों..? फिल्म इसीके बारे में है.



मराठी में ‘सैर’ का अर्थ मुक्ति है. मां, बेटे और पंछी को मुक्ति कैसे मीलती है..? कबूतर खरीदकर लानेवाले दुकानदार का द्रष्टिकोण क्या है..? बहोत छोटी कहानी को कीस तरह प्रस्तुत कीया है, यह ‘सैर’ की मूल बात है. मां के किरदार में (शामल सुरते) और बेटे के किरदार में (शोर्य वैष्णव) का अभिनय जानदार है. भावनात्मक जुडाव बनाता है.

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जयराम माली के निर्देशनमें बनी यह फिल्म प्रादेशीक भाषा के माध्यम से भारतीय सिनेमा का नया चहेरा दर्शाती है. फिल्म का माहोल और प्रस्तुती उसे अपना परिवेश देती है. कहीं पर भी फिल्म बनाने का प्रयत्न नहीं दिखता. फिल्मकार ने उसे वास्तविक और बिन जरुरी फिल्मी ढंग (कढंगेपन) से दूर रक्खा है. किरण जाधव और जयराम मालीने पटकथा को बहोत सटीक रक्खा है. नीतिन वैष्णव की सिनेमेटोग्राफी फिल्म को दर्शनीय बनाती है. निर्माता डॉ.ध्यानेश्वर सोनवणे और सह-निर्माता नीतिन वैष्णव और स्वागत खेरनार भी अभिनंदन के अधिकारी है. महाभारत के एक श्लोक को प्रस्तुत करती यह फिल्म कुछ समय में एम एक्स प्लेयर को देखने को मीलेगी.

Dr. Tarun Banker (M) 9228208619

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Dr. Tarun Banker

Ph. D. : Fiction into Film Have been working with Cinema, TV & Theatre from 1991.

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